सोमवार, 14 मार्च 2016

१.१३ निश्चित अनिश्चित

यो ध्रुवाणि मरित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।१.१३।।

जो मनुष्य निश्चित वस्तु को छोड़कर अनिश्चित की ओर दौड़ता है उसकी निश्चित वस्तु भी नष्ट हो जाती है और अनिश्चित तो मानो पहले ही नष्ट थी।

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