धनिकः श्रोतियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत्।।१.१०।।
जिसमें
नहीं है ऐसे मनुष्य से मित्रता नहीं करनी चाहिए। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत्।।१.१०।।
जिसमें
- रोजी,
- भय ,
- लज्जा ,
- उदारता और
- त्यागशीलता
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