सोमवार, 14 मार्च 2016

२.२ साधारण तपस्या का फल नहीं है

भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना।
विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम्।।२.२।।

नीचे बताई हुई बातें होना साधारण तपस्या का फल नहीं है। इसके लिए अखण्ड तपस्या की जरूरत है।
  1. भोजन के पदार्थों का उपलब्ध होते रहना,
  2. भोजन की शक्ति विद्यमान रहना (अर्थात् स्वास्थ्य में किसी तरह की खराबी न रहना),
  3. रतिशक्त्ति बनी रहना,
  4. सुन्दर स्त्री का मिलना,
  5. इच्छानुकूल धन रहना और 
  6. दानशक्त्ति का रहना।  

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