सोमवार, 14 मार्च 2016

१.१४ समझदार मनुष्य

वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले।।१.१४।।

समझदार मनुष्य का कर्तव्य है कि वह कुरूपा भी कुलवती कन्या के साथ विवाह कर ले। पर नीच सुरूपवती के साथ न करे। क्योंकि विवाह अपने समान कुल में ही अच्छा होता है। 

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