मंगलवार, 22 मार्च 2016

१२.१३ मेरा उत्सव

निमन्त्रणोत्सवा विप्रा गावो नवतृणोत्सवाः।
पत्युत्साहयुता भार्या अहं कृष्णा रणोत्सवः।।१२.१३।।

ब्राह्मण का उत्सव है निमन्त्रण , गौओं का उत्सव है नई घास।  स्त्री का उत्सव है पति का आगमन , किन्तु हे कृष्ण ! मेरा उत्सव है युद्ध।

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