मातृवत्परदारेषु परद्रव्याणि लोष्टवत्।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पण्डितः।।१२.१४।।
जो मनुष्य परायी स्त्री को माता के समान समझता , पराया धन मिट्टी के ढेले के समान मानता और अपने ही तरह सब प्राणियों के सुख - दुःख समझता है वही पण्डित है।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पण्डितः।।१२.१४।।
जो मनुष्य परायी स्त्री को माता के समान समझता , पराया धन मिट्टी के ढेले के समान मानता और अपने ही तरह सब प्राणियों के सुख - दुःख समझता है वही पण्डित है।
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