गुरुवार, 24 मार्च 2016

१२.१७ चार चीज़ें हित करने वाली

विद्या मित्रं प्रवासे च भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्यधितस्यौषधं मित्रं धर्मों मित्रं मृतस्य च।।१२.१७।।

प्रवास में विद्या हित करती है , घर में स्त्री मित्र है , रोगग्रस्त पुरुष का हित औषधि होता है और धर्म मरे का उपकार करता है।

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