नाऽऽहारं चिन्तयेत् प्राज्ञो धर्ममेकं हि चिन्तयेत्।
आहारो हि मनुष्याणां जन्मना सह जायते।।१२.२०।।
विद्वान् को चाहिए कि , वह भोजन की चिन्ता न किया करे। चिन्ता करे केवल धर्म की , क्योंकि आहार तो मनुष्य के पैदा होने के साथ ही नियत हो जाया करता है।
आहारो हि मनुष्याणां जन्मना सह जायते।।१२.२०।।
विद्वान् को चाहिए कि , वह भोजन की चिन्ता न किया करे। चिन्ता करे केवल धर्म की , क्योंकि आहार तो मनुष्य के पैदा होने के साथ ही नियत हो जाया करता है।
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