गुरुवार, 24 मार्च 2016

१२.२१ सुखी रहना

धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणे तथा।
आहारे व्यवहारे च त्यक्त्तलज्जः सुखी भवेत्।।१२.२१।।

जो मनुष्य धन तथा धान्य के व्यवहार में, पढ़ने - लिखने में , भोजन में और लेन - देन में निर्लज्ज होता है , वही सुखी रहता है।

 

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