मंगलवार, 22 मार्च 2016

१२.१२ धर्म का संग्रह

अनित्यानि शरीराणि विभवो नैव शाश्वतः।
नित्यं सन्निहितो मृत्युः कर्त्तव्यो धर्मसंग्रहः।।१२.१२।।

शरीर क्षणभंगुर है , धन भी सदा रहने वाला नहीं है , मृत्यु बिल्कुल समीप विद्यमान है।  इसलिए धर्म का संग्रह करो।

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