मंगलवार, 22 मार्च 2016

१२.६ कौन मिटा सकता है

पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किं
नोलूकोऽवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम्।
वर्षा नैव पतेत्तु चातकमुखे मेघस्य किं दूषणं
यत्पूर्वं विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः।।१२.६।।  

यदि करीर के पेड़ में पत्ते नहीं लगते तो वसन्त ऋतु का क्या दोष ?
उल्लू दिन को नहीं देखता तो इसमें सूर्य का क्या दोष?
बरसात की बूँदें चातक के मुख में नहीं गिरतीं तो इसमें मेघ का क्या दोष ?
विधाता ने पहले ही ललाट में जो लिख दिया है , उसे कौन मिटा सकता है।

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